सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा साल 2016 में देश में लागू किए गए फैसले को सही ठहराया है.
साल 2016 में केंद्र सरकार ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को रद्द कर दिया था जो उस समय चलन में थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नोटबंदी के फैसले में कोई कानूनी या संवैधानिक खामी नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश नोटबंदी प्रक्रिया की वैधता से संबंधित मुख्य मुद्दे से जुड़े अन्य मुद्दों की सुनवाई के लिए याचिका को एक उपयुक्त पीठ के पास भेज सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चलन से बाहर हुए नोटों को वैध मुद्रा में बदलने के लिए दी गई 52 दिन की अवधि अनुचित नहीं थी और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि 1978 की नोटबंदी में वापस लिए गए नोटों को बदलने के लिए तीन दिन का समय दिया गया था, जिसे बाद में और पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था।
पांच जजों की संविधान पीठ ने नोटबंदी के ऐलान को सही ठहराया और कहा कि नोटबंदी के फैसले को वापस नहीं लिया जा सकता क्योंकि यह सरकार की आर्थिक नीति है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘निर्णय लेने की प्रक्रिया (केंद्र सरकार की) में कोई खामी नहीं है।’
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 2016 में केंद्र सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आज अपना फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआत में 9 मुद्दों पर विचार करने का फैसला किया था, अब 6 मुद्दों पर सुनवाई होगी.