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केंद्रीय कृषि मंत्री का विशेष ध्यान: जैव-समृद्ध किस्मों की उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने की योजना

प्रकाशित: 13 जून 2024, 5:25 PM PIB दिल्ली द्वारा

आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कृषि अनुसंधान योजना पर विस्तार से चर्चा की। केंद्रीय मंत्री ने 113 अनुसंधान संस्थानों पर कहा कि “हमें यह आकलन करना चाहिए कि यह काम महत्वपूर्ण है और हमें एक नेटवर्क होना चाहिए। यह देखना चाहिए कि हमारा नेटवर्क अपेक्षित परिणाम दे रहा है या नहीं, यह उस उद्देश्य के लिए ठीक से काम कर रहा है या नहीं, जिसके लिए इसे बनाया गया था। यदि इसमें कोई कमी है तो इसका विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “यदि हम लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उन्हें प्राप्त करने में सफल होते हैं, तो हम एक नई क्रांति ला सकते हैं, इसके बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते। कभी-कभी आपको समीक्षा करनी चाहिए कि हमारे लक्ष्य क्या थे, हमने कितना हासिल किया, यदि हम कम हासिल कर पाए, तो उन कमियों को भरने की आवश्यकता है। ऐसा करके, हम 2047 तक निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे। यदि हमने 2047 के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है, तो हमें यह भी तय करना चाहिए कि हमारे 2026 के लिए क्या लक्ष्य हैं, 2026 में कितना हासिल हुआ, 2027 में कितना हासिल हुआ।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह के अनुसार, सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों के केन्द्र में नागरिक बने हुए हैं और इसका संकल्प कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण सुनिश्चित करके नागरिकों के जीवन को आसान बनाना, एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली बनाना, नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के साथ डिजिटल शासन को बढ़ाना और नागरिक कल्याण सुनिश्चित करना है।

केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को समकालीन समय के साथ भर्ती नियमों और सेवा नियमों की बहुलता को तर्कसंगत बनाने की दिशा में काम करने और इसे भविष्य के लिए तैयार करने के लिए डिजिटल तकनीक को शामिल करने का निर्देश दिया। डॉ. सिंह ने सरकारी विभागों की दक्षता बढ़ाने के लिए अद्वितीय योग्यता निर्माण उत्पाद बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन को अनुकूलित करने के लिए सुधार जारी रखना और प्रशिक्षण संरचनाओं और कार्यप्रणाली में सुधार करना हमारी प्राथमिकता है।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह के अनुसार, जनरेशन एआई, एमएल, ऑगमेंटेड रियलिटी/वर्चुअल रियलिटी जैसी उभरती हुई तकनीकों का अनुप्रयोग हमारे नए दौर के सुधारों का अभिन्न अंग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सरकारी कर्मचारियों के लिए आई-गॉट प्लेटफॉर्म का उपयोग करने और मिशन कर्मयोगी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक स्व-प्रेरित वातावरण बनाना है। समीक्षा करते हुए उन्होंने आईएसटीएम, नई दिल्ली में डिजिटल लर्निंग लैब के कामकाज के बारे में भी जानकारी ली, जिसका उद्घाटन डॉ. सिंह ने डीओपीटी मंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल में किया था। उन्होंने ई-लर्निंग और कर्मचारियों की क्षमता निर्माण को उनके करियर की प्रगति का अभिन्न अंग बनाने पर जोर दिया। उन्होंने तकनीकी रूप से तेजी से बदलती दुनिया में समतल संगठन बनाने और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कर्मचारियों और विभागों को उनके प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत करना और सार्वजनिक सेवा वितरण में जवाबदेही बढ़ाना हमारा फोकस क्षेत्र होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को अत्याधुनिक भौतिक और डिजिटल प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे के निर्माण और क्षमता निर्माण के लिए सर्वोत्तम संकाय की पहचान और उत्कृष्टता केंद्र के निर्माण के बारे में भी मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा, “हमें क्षमता निर्माण को और अधिक जैविक बनाने के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।”

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) की समीक्षा करते हुए कहा, “हमें सरकारी विभागों के बीच सहकारी प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और सर्वोत्तम प्रथाओं को दोहराने के लिए राज्यों के लिए पहले से मौजूद सूचकांक की तर्ज पर केंद्रीय मंत्रालयों के लिए एक सुशासन सूचकांक बनाना चाहिए।” उन्होंने सीपीजीआरएएमएस की सफलता पर डीएआरपीजी के प्रयासों की भी सराहना की, जिसे दुनिया भर में सबसे अच्छे शिकायत निवारण तंत्र के रूप में मान्यता मिली है और इसे अन्य क्षेत्रों में भी जारी रखने और दोहराने का निर्देश दिया। उन्होंने डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल और फील्ड ऑफिसों में ‘ई-ऑफिस’ को बढ़ाने पर जोर दिया, ताकि एंड टू एंड डिजिटलीकरण सुनिश्चित हो सके और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार हो सके। उन्होंने नए युग की तकनीक का उपयोग करके सतर्कता मामलों के शीघ्र निपटान के लिए एक संरचित तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया।

पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) की प्रगति की समीक्षा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “पेंशन नियमों को एकीकृत करके और जीवन को आसान बनाकर वरिष्ठ नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण हमारे विभाग का मार्गदर्शक बल है।” केंद्रीय मंत्री ने पेंशनभोगियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) अभियान की सफलता की सराहना की और उन्हें इसे और अधिक जोश और उत्साह के साथ जारी रखने को कहा। विभाग के भविष्य के पाठ्यक्रम पर अधिकारियों को निर्देश देते हुए उन्होंने कहा, “हमें बैंकों के साथ भविष्य पोर्टल का एकीकरण जारी रखना चाहिए।” मंत्री के अनुसार पेंशनभोगियों के बीच जागरूकता पैदा करने और उनके सेवानिवृत्त वर्षों को आसान बनाने के लिए पूर्व-सेवानिवृत्ति परामर्श कार्यशालाओं का आयोजन जारी रखा जाना चाहिए। डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार भाषा एक सक्षमकर्ता होनी चाहिए न कि बाधा बननी चाहिए और इसलिए नागरिकों तक उनकी मातृभाषा में पहुंचने के लिए भाषिणी के उपयोग पर विचार किया जाना चाहिए।

बैठक में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की सचिव श्रीमती एस. राधा चौहान, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) तथा पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) के सचिव श्री वी. श्रीनिवास तथा तीनों विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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